आओ स्कूल चलें हम

आओ स्कूल चलें हम

आओ स्कूल चलें हम,
स्कूल में खुब पढ़ें हम।
जब तक सांसे चले,
तब तक ना रुके कदम ।

पढ़ लिख के बन जाएं नेहरू।
खुले गगन में उड़ेगें बन पखेरू।
गाता रहे हमारी सांसो की सरगम।
जैसे परी रानी की पायल की छम छम।
आओ स्कूल चले हम ….

आज इरादे हैं हमारे कच्चे
कल पढ़कर हो जाएंगे पक्के ।
बापू की पथ पर चलकर
बन जाएंगे हम सच्चे बच्चे
मिट  जाये उस दिन सारे गम।
आओं स्कूल चले हम…..

 मनीभाई ‘नवरत्न’,छत्तीसगढ़,

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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