CLICK & SUPPORT

अब तो खुलकर बोल

अब तो खुलकर बोल*


शर्मिलापन दूर भगाकर,घूँघट के पट खोल!
बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुल कर बोल!!
जीवन की अल्हड़ता देखी,खुशियाँ थी अनमोल!
दुख को देखा इन नैनों से,तर्क तराजू तोल!
ऊंच नीच की गलियाँ देखी,अक्षर अक्षर बोल!
बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुलकर बोल!!…………..(१)


राजनिती में दल दल देखा,नेताओं का शौर!
डाकू बनगये आज धुरंधर,सच्चे नेता चोर!
गिरेबाँन गँदा है सबका,खोले खुद की पोल!
बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुलकर बोल!!………..(२)


भारत को बेपर्दा देखा,नया नवेला वेश!
औछे कपड़े,ऊंची सैंडिल,सिर के खुले केश!
बालाएँ ठगती ही देखी,कहुँ बजंता ढ़ोल!
बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुलकर बोल!!…………..(३)


रिश्तों को रिस रिस कर मरते, देखा ऐसा हाल!
बेटों की चाहत में अब भी,बेटी होय हलाल!
सास कभी थी बेटी किसकी,मनको जरा टटोल!
बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुलकर बोल!!………(४)


बेकारी सुरसा सी बढ़ती,भटके आज जवान!
भ्रष्ट आचरण डस गया मुल्य,पंगू बना विधान!
खींचातान बढ़ी है भारी,सत्ता डाँवांडोल!
बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुलकर बोल!!…………..(५)
~~~~


~~~~भवानीसिंह राठौड़ ‘भावुक’

CLICK & SUPPORT

You might also like