अनुभूति भाव पर कविता

अनुभूति भाव पर कविता

दृश्य देख अनुभूति से ,
             आया अब विश्वास ।
अपने उन्नति के लिए ,
             लोग करे ठग रास ।।

जिसका अनुभव है तुझे ,
              करो वही तुम कृत्य ।
तुझमें प्रतिभा है भरी ,
              करलो सुंदर नृत्य ।।

श्रेष्ठ प्रेम अनुभूति अति ,
             लेता जन मन जीत ।
सदियों से तुम देख लो ,
             यही जगत की रीत ।।

तन की पीड़ा मिट गई ,
            हुआ दिव्य अनुभूत ।
बनता देह निरोग जब ,
           मिलता चैन अकूत   ।।

नित्य क्रोध अनुभूति हो ,
           मन को रखना शांत ।
कहे रमा ये सर्वदा ,
          धार दिव्य सिद्धांत ।।

           ~  मनोरमा चन्द्रा “रमा”

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