ये भी विकलांगता है

ये भी विकलांगता है नर मूर्तियाँ बना प्रभु ने ,किया काम उत्तमता है।रह गयी कुछ कमियाँ,जग कहे अपंगता है।ये भी……………….। पाँव एक ही होकर भी ,गिरी राज लांघता है ।जो है दो पैरों वाला,देखो टाँग खींचता है।ये भी……………….। पैदा हुआ है मंद बुद्धि,खामोश ही रहता है।जो ज्ञान का सागर बन,गर समाज बाँटता है।ये भी………………..। जिनके … Read more

दीप शिखा- ( ताटंक छंद विधान )

दीप शिखा- ( ताटंक छंद विधान ) सुनो बेटियों जीना है तो,शान सहित,मरना सीखो।चाहे, दीपशिखा बन जाओ,समय चाल पढ़ना सीखो। रानी लक्ष्मी दीप शिखा थी,तब वह राज फिरंगी था।दुश्मन पर भारी पड़ती पर,देशी राज दुरंगी था।१.बहा पसीना उन गोरों को,कुछ द्रोही रजवाड़े में।हाथों में तलवार थाम मनु,उतरी युद्ध अखाड़े में। अंग्रेज़ी पलटन में उसने,भारी मार … Read more

११ मात्रिक नवगीत – पीत वर्ण पात हो

११ मात्रिक नवगीत – पीत वर्ण पात हो घाव ढाल बन रहे. स्वप्न साज बह गये।. पीत वर्ण पात हो. चूमते विरह गये।। काल के कपाल पर. बैठ गीत रच रहा. प्राण के अकाल कवि. सुकाल को पच रहा. सुन विनाश गान खगरोम की तरह गये।पीत वर्ण……….।। फूल शूल से लगेमीत भयभीत छंदरुक गये विकास … Read more

सरसी छंद विधान – होलिका आई

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है। विकिपीडिया … Read more

प्रतीक्षा पर कविता

प्रतीक्षा पर कविता आयु ही जैसे प्रतीक्षा-श्रृंखला है,हर प्रतीक्षा पूर्ण कब होती भला है! रवि प्रतीक्षित धर्मरत हैं पूर्व-पश्चिम,सूर्य मिलकर पूर्व से पश्चिम चला है। धैर्य से जिस बीज ने की है प्रतीक्षा,वृक्ष सुंदर हो वही फूला-फला है। झूठ है आलस्य को कहना प्रतीक्षा,उन्नयन के मार्ग पर यह तो बला है। व्यग्रता को त्याग,धीरज को … Read more