कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

दीप शिखा- ( ताटंक छंद विधान )

दीप शिखा- ( ताटंक छंद विधान ) सुनो बेटियों जीना है तो,शान सहित,मरना सीखो।चाहे, दीपशिखा बन जाओ,समय चाल पढ़ना सीखो। रानी लक्ष्मी दीप शिखा थी,तब वह राज फिरंगी था।दुश्मन पर भारी पड़ती पर,देशी राज दुरंगी था।१.बहा पसीना उन गोरों को,कुछ…

११ मात्रिक नवगीत – पीत वर्ण पात हो

११ मात्रिक नवगीत – पीत वर्ण पात हो घाव ढाल बन रहे. स्वप्न साज बह गये।. पीत वर्ण पात हो. चूमते विरह गये।। काल के कपाल पर. बैठ गीत रच रहा. प्राण के अकाल कवि. सुकाल को पच रहा. सुन…

सरसी छंद विधान – होलिका आई

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत…

प्रतीक्षा पर कविता

प्रतीक्षा पर कविता आयु ही जैसे प्रतीक्षा-श्रृंखला है,हर प्रतीक्षा पूर्ण कब होती भला है! रवि प्रतीक्षित धर्मरत हैं पूर्व-पश्चिम,सूर्य मिलकर पूर्व से पश्चिम चला है। धैर्य से जिस बीज ने की है प्रतीक्षा,वृक्ष सुंदर हो वही फूला-फला है। झूठ है…