आओ सच्चेे मीत बनाएँ

आओ सच्चेे मीत बनाएँ (१६,१६)आओ सच्चेे मीत बनाएँ,एक एक हम वृक्ष लगाएँ।बचपन में ये सुन्दर होते ,नेह स्नेह के भाव सँजोते। पालो पोषो गौरव होता।मधुर भाव हरियाली बोता।आज एक पौधा ले आएँ,आओ सच्चे मीत बनाएँ। यौवन मे छाँया दातारी,मीठे खट्टे फल खग यारी।चिड़िया,मैना पिक शुक आए,मधुर सरस संगीत सुनाए। सुन्दर नीड़,बसेरे सजते।पावन पंछी कलरव बजते।प्राण … Read more

वर्षा-विरहातप

वर्षा-विरहातप (१६ मात्रिक मुक्तक ) कहाँ छिपी तुम,वर्षा जाकर।चली कहाँ हो दर्श दिखाकर।तन तपता है सतत वियोगी,देखें क्रोधित हुआ दिवाकर। मेह विरह में सब दुखियारे,पपिहा चातक मोर पियारे।श्वेद अश्रु झरते नर तन से,भीषण विरहातप के मारे। दादुर कोकिल निरे हुए हैं,कागों से मन डरे हुए हैं।तन मन मेरे दोनो व्याकुल,आशंकी घन भरे हुए है। बालक … Read more

मीत देश वंदन की ख्वाहिश

मीत देश वंदन की ख्वाहिश धरती पर पानी जब बरसेमनभावों की नदियाँ हरषे।नमन् शहीदों को ही करलें,छोड़ो सुजन पुरानी खारिश।मीत देश वंदन की ख्वाहिश। आज नेत्र आँसू गागर है,यादें करगिल से सागर है।वतन हितैषी फौजी टोली,कर्गिल घाटी नेहिल बारिश,मीत देश वंदन की ख्वाहिश। आतंकी हमलों को रोकें,अंदर के घपलों को झोंके।धर्म-कर्म अनुबंध मिटा कर,जाति धर्म … Read more

पिता पर दोहे

पिता पर दोहे पिता क्षत्र संतान के, हैं अनाथ पितुहीन।बिखरे घर संसार वह,दुख झेले हो दीन।। कवच पिता होते सदा,रक्षित हों संतान।होती हैं पर बेटियाँ, सदा जनक की आन।। पिता रीढ़ घर द्वार के,पोषित घर के लोग।करें कमाई तो बनें,घर में छप्पन भोग।। पिता ध्वजा परिवार के, चले पिता का नाम।मुखिया हैं करते वही , … Read more

तिरंगा (चौपाई छंद)

तिरंगा (चौपाई छंद) आजादी का पर्व मनालो।खूब तिरंगा ध्वज पहरालो।।संगत रक्षा बंधन आया।भ्रात बहिन जन मन हर्षाया।।१ राखी बाँधो देश हितैषी।संविधान संसद सम्पोषी।।राखी बाँध तिरंगा रक्षण।राष्ट्र भावना बने विलक्षण।।२ जन जन का अरमान तिरंगा।चाहे बहिन भ्रात हो चंगा।।रक्षा सूत्र तिरंगा चाहत।धरा बहिन न होवे आहत।।३ राखी बंधन खूब कलाई।मान तिरंगे को निज भाई।।भारत का सम्मान … Read more