प्रतीक्षा पर कविता
प्रतीक्षा पर कविता आयु ही जैसे प्रतीक्षा-श्रृंखला है,हर प्रतीक्षा पूर्ण कब होती भला है! रवि प्रतीक्षित धर्मरत हैं पूर्व-पश्चिम,सूर्य मिलकर पूर्व से पश्चिम चला है। धैर्य से जिस बीज ने की है प्रतीक्षा,वृक्ष सुंदर हो वही फूला-फला है। झूठ है…
