Author: कविता बहार

  • प्रेरणा दायक कविता – हम स्वदेश के सपूत

    प्रेरणा दायक कविता – हम स्वदेश के सपूत

    कविता बहार के प्रेरणा दायक कविता में से एक कविता –

    struggle

    हम स्वदेश के सपूत


    हम स्वदेश के सपूत आज पग बढ़ा चले।


    हाथ में अंगार, है हर चरण पहाड़ है।
    हम बढ़े जिधर उधर आँधियाँ ही बढ़ चलें।
    हम स्वदेश के सपूत आज पग बढ़ा चलें।


    मातृभूमि तू न डर, धीर धर विश्वास धर।
    शत्रु शीश बीनती है, यह दुधार जब चलें।
    हम स्वदेश के सपूत आज पग बढ़ा चलें।


    है यहाँ कलह न द्वेष, एक प्राण है स्वदेश,
    जय हमारे हाथ में है, हम सभी विचार लें।
    हम स्वदेश के सपूत, आज पग बढ़ा चलें।

  • दूर संचार करेगा विकास का योग -अशोक शर्मा

    इसे सुनेंविश्व दूरसंचार दिवस १७ मई को मनाया जाता है। यह दिन 17 मई 1865 को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ की स्थापना की स्मृति में विश्व दूरसंचार दिवस के रूप में जाना जाता था। वर्ष1973 में मैलेगा-टोर्रीमोलिनोन्स में एक सम्मेलन के दौरान इसे घोषित किया गया।

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    दूरसंचार पर कविता



    समय पुराने अतीत काल में,
    दूर दराज के हाल चाल में,
    चिट्ठी आती खुशियां लाती,
    बहुत पुराना हाल बताती।


    हाल चाल जब उधर से आवे,
    बड़ी देर समाचार बतावे।
    खबर मिले जब तुरंत हरसावे,
    पर वो खबर बूढ़ी हो जावे।


    फिर आया नव दूर संचार,
    नए तरीके नया विचार।
    पल भर में यह बात सुनावे,
    कब कहाँ कैसे हैं बतलावे।


    भाव दिलों के दूर से आवे,
    अस लागे जैसे पास ही पावे।
    देख देख मुखड़ा हँस हँस कर,
    बात होती चिपक चिपककर।


    और कुछ खास बातों में,
    लिखकर होती रातों रातों में।
    खोज एक से एक अनमोल,
    मैसेज मिलने में कोई न झोल।


    युग ऐसा तरक्की का आया,
    सब कुछ पलमें द्वार है लाया।
    अतिशय बुरा हर चीज का भाई,
    यदि बिन सोचे दुरुपयोग हो जाई।


    संयम से यदि करें उपयोग,
    दूर संचार करेगा विकास का योग।।


    ★★★★★★★★★★★
    अशोक शर्मा 17.05.21
    ★★★★★★★★★★★

  • देखें कौन सुमन शैया तज कंटक पथ अपनाता है?

    देखें कौन सुमन शैया तज कंटक पथ अपनाता है?

    struggle

    देखें कौन सुमन शैया तज, कंटक पथ अपनाता है?


    देश-प्रेम का मूल्य प्राण है, देखें कौन चुकाता है?
    देखें कौन सुमन शैया तज, कंटक पथ अपनाता है?


    सकल मोह ममता को तजकर, माता जिसको प्यारी हो।
    दुश्मन की छाती छेदन को, जिसकी तेज़ कटारी हो।
    मातृभूमि के लिए राज्य तज, जो बन चुका भिखारी हो।
    अपने तन,मन,धन-जीवन का स्वयं पूर्ण अधिकारी हो।
    आज उसी के लिए राष्ट्र, भुज अपने ही फैलाता है ! देखें कौन…


    कष्ट-कंटकों में पड़ करके जीवन पट सीने होंगे।
    कालकूट के विषमय प्याले, प्रेम सहित पीने होंगे।
    एक ओर संगीनें होंगी, एक ओर सीने होंगे।
    वही वीर अब बढ़े जिसे हँस-हँसकर मरना आता है। देखें कौन ..

  • कोरोना से बचना है -शिवांशी यादव

    कोरोना से बचना है -शिवांशी यादव

    कोरोना वायरस
    corona

    कोरोना से बचना है,
    हमें सुरक्षित ही रहना है|
    सबसे दूरी बनाए रखना है,
    अभी घर से नहीं निकलना है|

    अपने लिए नहीं तो,
    अपनों के लिए सोचिए।
    जब भी घर से निकलिए
    मास्क लगा के ही रहिए।

    फल-सब्जियों को अच्छे से धोना है,
    गुनगुना पानी, रोज काढ़ा पीना है|
    अगर कोरोना को हराना है|
    तो सेहत का ख्याल रखना है।


    कोरोना से डरना नहीं है,
    कोरोना से लड़ना है|
    कोरोना से दूरी रखना है,
    कोरोना को भगाना है|

    गांवो में अफवाह न फैलाए,
    हो सके तो जागरूकता फैलाएं|
    कोरोना का टीका लगवाएं,
    कोरोना को सब मिल भगाएं|

    ये महामारी हुई शिक्षा पे भारी,
    गरीब के सिर पर बेरोजगारी |
    चलो मिल कर करें तैयारी।
    दें सबको बचाव की जानकारी |



    शिवांशी यादव
    उम्र-15वर्ष

  • कोरोना महामारी का कहर -अमिता गुप्ता

    कोरोना महामारी का कहर -अमिता गुप्ता

    कोरोना वायरस
    corona


    कोरोना महामारी ने

    कैसा ये कहर बरसाया है,
    चहुंओर अंधेरा ही छाया है!


    कितने कुलदीपक बुझ ही गए,
    कितने परिवार यूं उजड़ गए,
    गर नहीं सचेते अब भी तो,
    उठ सकता सिर से साया है,
    चहुं ओर अंधेरा छाया है!


    कहीं ऑक्सीजन की कमी हुई,
    कहीं पल में सांसे उखड़ गई,
    यह मृत्यु का तांडव रुके यही,
    बेबसी से उबरें जल्द सभी,
    रुक जाए महामारी अब बस,
    जिसने चितकार मचाया है,
    चहुंओर अंधेरा छाया है!


    जहां लाड -प्यार हमें मिलता था,
    वहीं दूर-दूर हम रहते हैं,
    स्पर्श न कर सकते हैं उन्हें,
    बरबस आंसू यह बहते हैं,
    प्रभु अपने पल में बिछड़ रहे,
    यह कैसा दिन दिखलाया है?
    चहुंओर अंधेरा छाया है!


    ईश्वर से प्रार्थना करती हूं,
    महामारी को जल्दी निपटा दो,
    दुख के बादल छंट जाए सभी,
    आशा की किरण अब दिखला दो,
    सब स्वस्थ रहें, खुशहाल रहें,
    प्रार्थना में मेरी समाया है,
    चहुंओर अंधेरा छाया है!


    मेरी सबसे है अपील यही,
    सब घर पर रहो और स्वस्थ रहो,
    सब मास्क लगाओ और सभी,
    सामाजिक दूरी का पालन करो,
    मत करो अवहेलना नियमोें की,
    इन्हे पालन करने का दिन आया है,
    चहुंओर अंधेरा छाया है!


    –✍️अमिता गुप्ता