इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस (नर्स लोगन के अंतर्राष्ट्रीय समीति) एह दिवस के 1965 से हर साल मनावेले। जनवरी 1974, से एकरा के मनावे के दिन 12 मई के चुनल गइल जवन की फ्लोरेंस नाइटेंगल के जन्म दिवस हवे। फ्लोरेंस नाइटेंगल के आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक मानल जाला।
सफ़ेद कपड़ों में लिपटी हुई देवी
एक दिन पूछा था किसी ने.. उन सफ़ेद कपड़ों में लिपटी हुई देवी से, “सबकी सेवा करती हुई तुम कभी थकती नही, ना ही आता है हिचकिचाहट का कोई भाव तुम्हारे मुख मंडल पर… कैसे हो इस स्वार्थ भरे संसार में इतनी निःस्वार्थ तुम।” सफ़ेद लिबास वाली वो देवी…रुकी…मुस्कुराई…. फिर अपना काम करते हुए बोली, “किसने कहा तुमसे कि निःस्वार्थ हूँ मैं? हर इंसान की तरह मेरे भी स्वार्थ है, अपना काम करते हुए ही मिलती हैं वो चीजें मुझे, जो बना देतीं हैं मुझे सबसे अमीर। बेबसों को संभालकर मुझे सब्र मिलता है, घाव पर उनके मरहम लगाकर…. अपने घाव भरते प्रतीत होते हैं मुझे, लाचारों को पहुँचाकर उनकी सही स्थिति में मैं पाती हूँ उनकी ढेरो दुआयें… और मुस्कुराते हुए देखकर उन्हें उनके अपनों के साथ मिलता है गहरा सुकून मुझे, तो कहो! कहाँ निःस्वार्थ हूँ मैं?” प्रश्न पूछने वाला खड़ा रहा….अवाक…. जब होश आया तो बस सर झुका दिया उसने उन सफ़ेद कपड़ों में लिपटी देवी के सामने….।
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा है। 1995 से यह सिलसिला जारी है। परिवार की महत्ता समझाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
साथ रहे जब घर परिवार
जीवन भी मुश्किल से मिलता , मुश्किल जीवन का आधार , भरा पूरा सा लगता जग में , हंसी – खुशी हो जब परिवार ,
जीवन है संघर्षों का मेला , बदलते सबके सोंच विचार , जलन भावना ऐसी बढ़ती , टूट रहें है घर परिवार ,
सोंच बदल लें आओ हम सब , जीवन के बस दिन हैं चार , नही अकेला आगे बढ़ता , सोंचे हम सब बारम्बार ,
कड़ी बढ़ाएं मिलकर आओं , मूल्यों का दें सबको उपहार , सीखें अपने बच्चे मिलकर , भरा पूरा हो घर संसार ,
काम करें ना कोई ऐसा , सोंच समझकर करें विचार , बड़े बुर्जग हैं जो भी हमसे ,चाहें बस आदर – सत्कार ,
बदलें अपना सोंच हमारा , बदलें हम अपना व्यवहार , देख चुके हमसें भी ज्यादा ,जीवन जीया कई प्रकार ,
आशीर्वाद से हम सब फूलें ,बना रहे यह प्यार – दुलार , एक रहे तो फूल खिलेंगे , फिर आएगी नई बहार ,
फूलों की बगिया महकेगी , फूल खिलेंगे कई हजार , कहीं गलत न हम कर बैठे , टूटे न प्यारा – संसार ,
काम आते सब एक दूजे के , भरा पूरा हो जब परिवार , आओं मिल सब काम करें हम , बदलें अपना व्यवहार ,
कद करें हम एक दूजे की , अपनाएं अपनों को फिर इस- बार, टूटे न फिर कभी किसी का , बदलें अपना सोंच विचार ,
बदल गया जो सोंच हमारा , सुधर जाएगा यह संसार । तोड़ सके न कोई हमको , साथ रहे जब घर परिवार ।
युवा कवि एवं साहित्यकार शिव कुमार पटेल , ग्राम – तेलीपाली ,पोस्ट – लोहरसिंग ,जिला – रायगढ़( छ. ग.) ईमेल- [email protected]
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा है। 1995 से यह सिलसिला जारी है। परिवार की महत्ता समझाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
बड़ी अनमोल मोती है परिवार
बड़ी अनमोल मोती है परिवार दुख में जो साथ खडा होता है वह है परिवार मेरी दिल को तोड़ा है बहुतों ने मुझे दुख दिया बहुतों ने लेकिन… हर हालात में साथ नहीं छोड़ा परिवार ने एक खूबसूरत शब्द है परिवार मन मे विश्वास और सुरक्षा भर देता है परिवार जिन्दगी की जड़ है परिवार।
घर का गौरव और अस्तित्व मिलते है परिवार से हमारे कमियों को स्वीकार किया है परिवार जीवन का एक अभिन्न अंग है परिवार बच्चों के लिए पहला स्कूल है परिवार संस्कृति का भंडार है परिवार जिन्दगी की उतार-चढाव मे साथ देते है परिवार जिन्दगी मे मुश्किलों से लडना सिखाया माँ-बाप ने परिवार का नींव है माँ-बाप बनता है आदर्श समाज आदर्श परिवार से मोतियों की तरह होती है हर सदस्य पिरोकर माला बनायी जाती है वह माला है परिवार सबसे अनमोल उपहार है परिवार।
परिवार की पहचान होती है माँ-बाप से घर मंदिर है तो भगवान है माँ-बाप अनमोल है भाई के रिश्ते एकता का प्रतीक है परिवार सुख-दुख का सच्चा साथी है परिवार हमारी ताकत बनता है परिवार पिता न रहे तो टूट जाते है परिवार अच्छे जीवन का आधार है परिवार पिता के बिना मैं भी टूट गई तब अपनेपन का एहसास कराता है परिवार प्यार का सागर है मेरा परिवार अभिमान है मेरा परिवार प्यार करो अपने परिवार से समय बिताओ अपने परिवार के साथ यही है जिन्दगी की सबसे कीमती पल।
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा है। 1995 से यह सिलसिला जारी है। परिवार की महत्ता समझाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मौका मिला है परिवार के साथ को जुड़ने का
बस बंद करो बहुत हुई, आपसी कलह क्या मिलेगा तुम्हें परिवार तोड़ने का।
आज है विश्व परिवार दिवस, मौका मिला है परिवार के साथ जुड़ने का।
संयुक्त परिवार तो बचे नहीं, एकल परिवारों में भी घुलता जहर, पराए आकर लड़वा जाते अपनों को, बरसाकर बेइज़्जती, बेईमानी का कहर। दिन पर दिन रिश्तों में क्यूं आ रही दूरियां, कौन बनेगा माध्यम ? परिवार को जोड़ने का,
आज है विश्व परिवार दिवस, मौका मिला है परिवार के साथ जुड़ने का।
कभी नौकरी की चाह,कहीं है आजादी की चाह, नैतिकता ,संस्कार को भूलकर,क्यूं अपनाने लगे बेईमानी की राह,
बुजुर्गों के संस्कारों को दरकिनार कर दिया, क्या यही कर्ज उतारा है तुमने उनके पालने का, समाज में घटती नैतिकता के दुष्परिणाम, सभी के परिवार बिखर रहे चाहे खास हो या आम, क्या फायदा तुम्हारे ऐसे बाहरी दान पुण्य का, जब परिवार के लोग भी खाने को तरस रहे, बाहर के लिए खजाने खोलने का।
आज है विश्व परिवार दिवस, मौका मिला है परिवार के साथ जुड़ने का।
लौटा दो बच्चों को भी दादी बाबा का प्यार, बच्चे भी बड़ों के सानिध्य में रहकर सीखे संस्कार, अपने बुजुर्ग माता-पिता भाई-बहन के संग रहकर व्यक्त करें अपना आभार,
विश्व परिवार दिवस मना कर फिर जोड़े अपना बिखरा परिवार, पड़ी है जो परिवारों में गांठ, गांठो को खोलकर पढ़ाओ बच्चों को नैतिकता का पाठ, आओ मनाएं विश्व परिवार दिवस की वर्षगांठ, एकता की कोशिश इतनी सी सभी परिवार रहे प्यार से साथ।।
आज है विश्व परिवार दिवस, मौका मिला है परिवार के साथ जुड़ने का।