तुम तो लूटोगे ही प्यारे,लुटेरों की बस्ती में
पुकार रहे हो किससे बंदे
खुद ही हो रहबर अपना।
छिप रहे हो कहां कहां पे
कहीं नहीं है घर अपना ।।
आबरू की फिक्र है तुझे
जाएगी कभी जो सस्ती में ।।
तुम तो लूटोगे ही प्यारे ,
हुस्न पाई लुटेरों की बस्ती में।।
तेरी जिद करने को हासिल
इस जग की सारी दौलतें।
तुम्हें पता होना चाहिए ये कि
यही बनेगी सारी आफतें।।
दुकान सुनी करो तो सही
जानोगे सब मौकापरस्ती में ।
तुम तो लूटोगे ही प्यारे ,
दौलत पाई लुटेरों की बस्ती में।।
गर तुझमें खुशबू है प्यारे
महकोगे एक दिन जहां में।
इत्र की खुशबू उड़ जाएगी
कर्म की खुशबू रहे समां में ।।
दूजे करनी को अपना बताके
रहते हो क्यों झूठी मस्ती में।।
तुम तो लूटोगे ही प्यारे ,
शोहरत पाई लुटेरों की बस्ती में।।
#मनीभाई नवरत्न