रूठ जाऊँ कभी तो मनाना मुझे। कर ये वादा कभी मत सताना मुझे।।
गर कहीं भूल जाऊँ ये राहे वफ़ा, *यार तेरी कसम* मत भुलाना मुझे।
जिंदगी की डगर में बड़ी मुश्किलें, थाम दामन मेरा तू चलाना मुझे।
आदमी तो है जिन्दा ख़ुशी के लिए, गम अगर आ भी जाये हँसाना मुझे।
इस कदर यार *बोधन* सताना नहीं, दिल चुराना कभी आजमाना मुझे। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ गज़लकार:- बोधन राम निषादराज”विनायक” सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.) All Rights Reserved@bodhanramnishad
जब भी होवे वाइरस संक्रमण,सर्दी-जुकाम से पिड़ित तन ! सांस लेने में होय परेशानी, सहज बात न समझे हम !! कफ खांसी की जांच कराये, डाक्टर को सारी बात बताये ! संकोच घबराने की बात नहीं, सावधानी की राह अपनाये !! खांसते झिकते रूमाल लगाये, टिसु पेपर मास्क अपनाये ! निज करे पालन सबको कराये,रोग न फैले सबको बताये !! सावधानी से जीवन सुखमम रहे, निरोगी काया हरपल रहे ! दास दूजराम के अरज भाई, निज अमल करे औरो को कहे !!
दूजराम साहू निवास भरदाकला तहसील खैरागढ़ जिला राजनांदगाँव (छ ग)
आये हो संसार मे, नेक काम कर जाय। विपदा आफत टाल कर,सब की करे सहाय। सब की करे सहाय,प्रभु ने लायक बनाया। मेहर उस की होय,खुशिया जी भर लुटाया। कहै मदन कर जोर, यही से सब कुछ पाये। दाता को लौटाय, नाम करने तुम आये।।
जब भी बंटा है वतन तब-तब बंटवारे के लिए उत्तरदायी रही है धर्मांधता यह चलती है राजनीतिक इशारों पर जो आज भी है पूरे यौवन पर जाने और कितने टुकड़े करना चाहते हैं धर्मांध लोग इस वतन के नहीं लेते सबक ऐतिहासिक भूलों से और कर रहे हैं निर्माण अराजक वातावरण का