रत्न चतुर्दश-डॉ एन के सेठी
रत्न चतुर्दश मंदराचल को बना मथनी, रस्सी शेष को।देवदनुज सबने मिल करके,मथा नदीश को।।किया अथक प्रयास सभी ने,रहे वहां डटे।करलिया प्राप्त मधुरामृत जब,सभी तभी हटे।। रत्न चतुर्दश निकले उससे, जो…
रत्न चतुर्दश मंदराचल को बना मथनी, रस्सी शेष को।देवदनुज सबने मिल करके,मथा नदीश को।।किया अथक प्रयास सभी ने,रहे वहां डटे।करलिया प्राप्त मधुरामृत जब,सभी तभी हटे।। रत्न चतुर्दश निकले उससे, जो…
अंकिता जैन की कविता विचित्र दुनिया ये बड़ी विचित्र दुनिया है,यहाँ, विचित्र राग गाया जाता हैं।अपने घाव रो रो कर दिखाते,और दूसरे के घावो पर,नमक लगाया जाता हैं।ये बड़ी विचित्र दुनिया हैं,यहां विचित्र राग गाया जाता हैं।कभी मजहब…
शहीदों पर कविता वतन के लिए कुर्बान होने की बात हैबस अपना फर्ज निभाने की बात है। कोई हमसे पूछे दिलो का जज्बा,हसीन कायनात सजाने की बात है। वतन पे जान लुटाने वालो,देश भक्ति का जज्बा जगाने की बात है।…
मदन मोहन शर्मा सजल द्वारा रचित रचनाएँ अभी बाकी है धीरे चल जिंदगी ज्वलंत सवालों के जवाब अभी बाकी है, जिसने भी तोड़े दिल ऐसे चेहरों से हिसाब अभी बाकी है, अंधियारी गहन रातों में ही बेहिचक संजोए हसीन पल, पूनम की…
मां अमृता की कुर्बानी याद करो वो कहानी, मां अमृता की कुर्बानी ,काला था वो मंगल ,रोया घना जंगल । खेजराली हरियाली, पर्यावरण निराली, सुंदर वृक्षों का घर , रेतीली धरा पर। वारी हूं मैं बलिहारी, हार गए अहंकारी ,प्राण आहूति देकर ,शिक्षा दी है …