अचरज मा परगे
अचरज मा परगे कोठी तो बढ़हर के* छलकत ले भरगे।बइमानी के पेंड़ धरे पुरखा हा तरगे॥अंतस हा रोथे संशो मा रात दिन।गरीब के आँसू हा टप-टप ले* ढरगे॥सुख के सपुना अउ आस ओखर मन के।बिपत के आगी मा सब्बो* हा …
अचरज मा परगे कोठी तो बढ़हर के* छलकत ले भरगे।बइमानी के पेंड़ धरे पुरखा हा तरगे॥अंतस हा रोथे संशो मा रात दिन।गरीब के आँसू हा टप-टप ले* ढरगे॥सुख के सपुना अउ आस ओखर मन के।बिपत के आगी मा सब्बो* हा …
बच्चे होते मन के अच्छे खेल कूद वो दिन भर करते,रखते हैं तन मन उत्साह।पेड़ लगा बच्चे खुश होते,चलते हैं मन मर्जी राह।।मम्मी पापा को समझाते,बन कर ज्ञानी खूब महान।बात बडों का सुनते हैं वे,रखते मोबाइल का ज्ञान।। रोज लगा…
अभाव-गुरु “उस वस्तु का नहीं होना” मैं,जरूरत सभी जन को जिसकी।प्रेरक वरदान विधाता का,सीढ़ी मैं सहज सफलता की।।1अभिशाप नहीं मैं सुन मानव,तेरी हत सोंच गिराती है।बस सोंच फ़तह करना हिमगिरि,यह सोंच सदैव जिताती है।।2वरदान और अभिशाप मुझेतेरे ही कर्म बनाते…
सीमा पर है जो खड़ा सीमा पर है जो खड़ा , अपना सीना तान ।उसके ही परित्याग से , रक्षित हिंदुस्तान ।।रक्षित हिंदुस्तान , याद कर सब कुरबानी ।करे शीश का दान , हिंद का अद्भुत दानी ।।कह ननकी…
इस कविता के प्रत्येक चरण में 16 मात्रा वाले छंद का प्रयोग किया गया है:- मानव जीवन ईश्वर का रहस्यमय वरदान है।आज के मानव का एकमात्र उद्देश्य अति धन-संग्रह है,जिसके लिए वे अपनों का भी खून बहाने से नहीं हिचकते।वे…