अर्ज़ी कर लेना तुम स्वीकार ओ मैया

अर्ज़ी कर लेना तुम स्वीकार ओ मैया मेरी अर्ज़ी कर लेना, अब तो तुम स्वीकार ओ मैयाइस बेटी को दे देना, अपना थोड़ा प्यार ओ मैयामैं तो तेरा नाम जपूँ, चाहे रूठे संसारमेरी अर्ज़ी……हे सुखकर्णी हे दुखहरणी मैया शेर सवारीसकल विश्व गुणगान करे माँ तेरी महिमा न्यारीकल कल बहती निर्मल गंगा अम्बे शरण तिहारीजगमग जगमग … Read more

रोज ही देखता हूँ सूरज को ढलते हुए

रोज ही देखता हूँ सूरज को ढलते हुए दरख्त रोज ही देखता हूँसूरज को ढलते हुए!फिर अगली सुबह ,निकल आता है मुस्कुराकर!नयी उम्मीद और विश्वास लिए,मेरे पास अब उम्मीद भी नहीं बचीमेरे सारे पत्तों की तरह!सपने टूटने लगते हैंजब देखता हूँकुल्हाड़ी लिये,बढ़ रहा है कोई मेरी ओर..मैं लाचार…विवश…उसे रोक नहीं सकताक्योंकि–उस इंसान की तरह ही … Read more

बसन्त और पलाश

बसन्त और पलाश दहके झूम पलाश सब, रतनारे हों आज।मानो खेलन फाग को, आया है ऋतुराज।आया है ऋतुराज, चाव में मोद मनाता।संग खेलने फाग, वधू सी प्रकृति सजाता।लता वृक्ष सब आज, नये पल्लव पा महके।लख बसन्त का साज, हृदय रसिकों के दहके।।शाखा सब कचनार की, लगती कंटक जाल।फागुन की मनुहार में, हुई फूल के लाल।हुई … Read more

तुम्हारे प्यार में कब-कब बिखरा नहीं हूँ मैं

तुम्हारे प्यार में कब-कब बिखरा नहीं हूँ मैं नैनों की झील में इश्क़ का पतवार लियेकौन कहता है कि कभी उतरा नहीं हूँ मैं ?बिखरा तो बहुत हूँ ज़िंदगी के जद्दोजहद मेंतुम्हारे प्यार में कब-कब बिखरा नहीं हूँ मैं ?तब मेरे बालों पे उंगलियाँ क्या फेर दीं तुमनेउस आइने से पूछिए कब से संवरा नहीं … Read more

कटुक वचन है ज़हर सम

कटुक वचन है ज़हर सम वाणी ही है खींचती भला बुरा छवि चित्रवाणी से बैरी बने वाणी से ही मित्रसंयम राखिए वाणी पर वाणी है अनमोलनिकसत है इक बार तो विष रस देती घोल। कटुक वचन है ज़हर सम मीठे हैं अनमोलवाणी ही पहचान कराती तोल मोल कर बोलकटु वाणी हृदय चुभे जैसे तीर कटार … Read more