कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

कौन समय को रख सकता है

कौन समय को रख सकता है कौन समय को रख सकता है, अपनी मुट्ठी में कर बंद।समय-धार नित बहती रहती, कभी न ये पड़ती है मंद।।साथ समय के चलना सीखें, मिला सभी से अपना हाथ।ढल जातें जो समय देख के,…

मौत का कुछ तो इंतज़ाम करें

मौत का कुछ तो इंतज़ाम करें मौत का कुछ तो इंतज़ाम करें,नेकियाँ थोड़ी अपने नाम करें।कुछ सलीका दिखा मिलें पहले,बात लोगों से फिर तमाम करें।सर पे औलाद को न इतना चढ़ा,खाना पीना तलक हराम करें।दिल में सच्ची रखें मुहब्बत जो,महफिलों…

चैत्र नवरात्र पर घनाक्षरी

नवदुर्गा सनातन धर्म में माता दुर्गा अथवा माता पार्वती के नौ रूपों को एक साथ कहा जाता है। इन नवों दुर्गा को पापों की विनाशिनी कहा जाता है, हर देवी के अलग अलग वाहन हैं, अस्त्र शस्त्र हैं परन्तु यह…

अब क्या होत है पछताने से

अब क्या होत है पछताने से तनको मलमल धोया रे और मनका मैल न धोयाअब क्या होत है पछताने से वृथा जनम को खोया रेभक्ति पनका करे दिखावा तूने रंगा चदरिया ओढ़करछल कपट की काली कमाई संग ले जाएगा क्या…

जग में तू आया मानव

जग में तू आया मानव इस जग में तू आया मानव,कर्म सुनहरा करने को।फिर क्यों बैठा सड़क किनारे,लिए कटोरा हाथों में।कंचन जैसे यह सुन्दर कायाव्यर्थ में कैसे झोंक दिया।आलस्य लबादा ओढ़के तूने,स्वाभिमान को बेच दिया।सक्षम  होकर  लाज  न आयी,बिना कर्म…