दिनकर जी पर दोहे – बाबूलाल शर्मा

दिनकर जी पर दोहे – बाबूलाल शर्मा

दिनकर दिनकर से हुए,हिन्दी हिन्द प्रकाश।
तेज सूर जैसा रहा, तुलसी सा आभास।।
.
जन्म सिमरिया में लिये, सबसे बड़े प्रदेश।
सूरज सम फैला किरण, छाए भारत देश।।

भूषण सा साहित्य ध्रुव, प्रेमचंद्र सा धीर।
आजादी के हित लड़े,दिनकर कलम कबीर।।

भारत के गौरव बने, हिन्दी के सरताज।
बने हिन्द के राष्ट्रकवि,हम कवि करते नाज।।

आजादी के बाद भी, जन हित की आवाज।
प्रतिनिधि संसद के बने,लोकतंत्र हित नाज।।

“रसवंती” के रचियता, “नये सुभाषित” लेख।
‘कुरूक्षेत्र’ से ‘वेणुवन’,’कवि श्री’ ‘दिल्ली’ देख।

‘रश्मिलोक’ ‘हे राम’ से,फिर ‘सूरज का ब्याह’।
‘बापू’ ‘उजली आग’ में, दिनकर की परवाह।।

‘लोक देव नेहरु’ लिखे, फिर ‘रेती के फूल’।
‘धूप छाँह’ अरु ‘उर्वशी’,’वट पीपल’ तरुमूल।।

‘रश्मि रथी’ रचना करे, वे ‘दिनकर के गीत’।
‘चक्रवाल’ ‘साहित्य मुखि’,सच्चे हिन्दी मीत।।

रची ‘काव्य की भूमिका’,’नीलकुसुम’ ‘हे राम।”
लिख ‘भारतीय एकता’, आजादी के नाम।।

‘ज्ञान पीठ’ तुमको मिला,’पद्म विभूषण’ मान।
शर्मा बाबू लाल मन, दिनकर का सम्मान।।

बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा, दौसा,राजस्थान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *