हिंदी ग़ज़ल
यह अरबी साहित्य की प्रसिद्ध काव्य विधा है । संगीत के क्षेत्र में इस विधा को गाने के लिए इरानी और भारतीय संगीत के मिश्रण से अलग शैली निर्मित हुई।
अरबी भाषा के ‘ग़ज़ल’ शब्द का अर्थ है औरतों से या औरतों के बारे में बातें करना।
ग़ज़ल एक छोटी कविता है जिसमें तुकबंदी करने वाले जोड़े होते हैं, जिन्हें कहा जाता है बेअत या शेर. अधिकांश ग़ज़ल सात और बारह के बीच होती हैं
It is a famous poetic genre of Arabic literature. In music, this genre was created by mixing Iranian and Indian music to sing this genre.
The word ‘Ghazal’ in Arabic means to talk to women or about women.
क्यूँ झूठा प्यार दिखाते हो
क्यूँ झूठा प्यार दिखाते हो क्यूँ झूठा प्यार दिखाते हो ….दिल रह रह कर तड़पाते हो .. गैरों से हंसकर मिलते होबस हम से ही इतराते हो घायल करते हो जलवों से …नज़रों के तीर चलाते हो … जब प्यार नहीं इज़हार नहीं …फिर हम को क्यूँ अज़माते हो .. आ जाओ हमारी बांहों में … Read more
दिलीप कुमार पाठक सरस का ग़ज़ल
दिलीप कुमार पाठक सरस का ग़ज़ल जिंदादिली जिसकी बदौलत गीत गाना फिर नया |हँसके ग़ज़ल गाते रहो छेड़ो तराना फिर नया || है जिंदगी जी लो अभी फिर वक्त का कोई भरोसा है नहीं |पल भर ख़ुशी का जो मिले किस्सा सुनाना फिर नया || हँसना हँसाना रूठ जाना फिर मनाना आ गया |अच्छा लगे … Read more
बेवफ़ाई पर ग़ज़ल – माधुरी डड़सेना ” मुदिता”
बेवफ़ाई पर ग़ज़ल क्या शिकायत करें जब वफ़ा ही नहींफासले बढ़ रहे अब ख़ता ही नहीं। क्यूं उदासी यहाँ घेर डाला हमेंरोशनी दिल जिगर में हुआ ही नहीं। गर्दिशों में फँसी नाव मेरी यहाँबस धुँआ ही रहा मैं जला ही नहीं । आरजू थी चले हमसफ़र बनके हमदर्द इतना बढ़ा की दुआ ही नहीं । … Read more
मां पर गजल
यहां पर माधुरी डर सेना द्वारा मां पर बेहतरीन ग़ज़ल लिखा गया है।यहाँ मान पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। मां पर गजल बड़ी खूबसूरत सी सौगात … Read more
आज कल अवसाद से गुजर रहा हूं मैं
*ग़ज़ल* आज कल अवसाद से गुज़र रहा हूं मैं। बिना तेरे निबाह! कैसे उमर रहा हूं मैं। एक उम्र तक जिंदगी से गिला न रहा, जिंदगी के साये से अब डर रहा हूं मैं। तू था साथ,तो हसीन थे दिन रात मेरे, अब पशोपेश से दो चार कर रहा हूं मैं। नाकाम आशिक,सौदाई भी नहीं … Read more
आस टूट गयी और दिल बिखर गया
ग़ज़ल* •••••••••••••••••••••••••••••••••• आस टूट गयी और दिल बिखर गया। शाख से गिरकर कोई लम्हा गुज़र गया। उसकी फरेबी मुस्कान देख कर लगा, दिल में जैसे कोई खंजर उतर गया। आईने में पथराया हुआ चेहरा देखा, वो इतना कांपा फिर दिल डर गया। वहां पहले से इत्र बू की भरमार थी, गजरा लेकर जब उसके मैं … Read more
ग़ज़ल -विनोद सिल्ला
ग़ज़ल -विनोद सिल्ला कैसी-कैसी हसरत पाले बैठे हैं।गिद्ध नजर जो हम पर डाले बैठे हैं।। इधर कमाने वाले खप-खप मरते हैं,पैसे वाले देखो ठाले बैठे हैं।। खून-पसीना खूब बहाते देखे जो,उनसे देखो छीन निवाले बैठे हैं।। नफरत करने वाले दोनों और रहे,कुछ मस्जिद तो बाकि शिवाले बैठे हैं।। खेत कमाते मिट्टी में मिट्टी होकर,सेठ बही … Read more
लक्ष्य पर ग़ज़ल – सुशी सक्सेना
कांटों भरा हो या फूलों भरा, जारी ये सफ़र रखना,कदम जमीं पर हो, मगर आसमां पर नजर रखना। मुश्किलों भरीं हैं, ये राहें जिंदगी की, ऐ साहिबचैन न मिले तो उलझनों में ही हंसी बसर रखना। खोने न देना होश, कामयाबियां जब कदम चूमेगमों में दिल के टुकड़ों को अपने सभांल कर रखना यूं तो … Read more