बासंतिक नवरात्रि की आई मधुर बहार

बासंतिक नवरात्रि की आई मधुर बहार

बासंतिक नवरात्रि की आई मधुर बहार
आह्वान तेरा है मेरी मां आजा मेरे द्वार
मंदिर चौकी कलश सज गए
दर्शन दे माता दुर्गे होकर सिंह सवार।
नौ दिन हैं नवरात्रि के नवरूप तेरे अपार
लाल चुनर साड़ी सिंदूर से करुं तेरा श्रृंगार
संकटहरिणी मंगलकरणी नवदुर्गे
खुश हो झोली में भर दे तू आशीष हजार।
हाथ जोड़ विनती करूं करो भक्ति स्वीकार
धूप दीप नैवेद्य से माँ वंदन है बारम्बार
शत्रुसंहारिणी अत्याचारविनाशिनी
महिमा जग में है तेरी शाश्वत अपरंपार।
शैलपुत्री के रूप में रहती तू ऊँचे पहाड़
ब्रह्मचारिणी मां चंद्रघंटा रूप तेरा रसताल
कूष्मांडा स्कंदमाता जगदंबा छविरूप
कात्यायनी कालरात्रि रूप तेरा विकराल।
महागौरी सिद्धिदात्री मां तू दयानिधान
पापनाशिनी मां अम्बे लाती नया विहान
खड्ग खप्पर संग मुंडमाल गले में
सब देवों में माँ मेरी तू है श्रेष्ठ महान।
जब जब  भक्तों पर संकट आता
मां  धारण करती तू रूप अनेक
शक्तिस्वरुपा जगतजननी जगदम्बे
इस धरती की  तू पावन माँ एक।
नौ दिन तेरा पाठ करूं महके मेरा घरबार
दुखहारिणी मां खुशी से भर दे मेरा भंडार
तेरे आवन की खुशी से नैनों में अश्रुधार
कृपादृष्टि हो मां तेरी सुखी रहे मेरा परिवार।

कुसुम लता पुंडोरा
आर के पुरम
नई दिल्ली
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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