भावासक्ति
जब तुमसे श्याम भजन होगा ।
तब यह काया प्रिय धन होगा ।।
रुप धन को गर्व हित सँभाला ।
मन मदिरा पीकर मतवाला ।।
रस रसना के वश रहता है ।
पर तिय माता तन तकता है ।।
निज तन में गंध गरजता है ।
मन सुख आराम तरसता है ।।
हरि चरणों से लगन करो रे ।
जगत सहारा जतन करो रे ।।
सुमरण जानो सद्गुरु मानो ।
जनम सुधारो भव पहिचानो ।।
~ रामनाथ साहू ” ननकी “
मुरलीडीह ( छ. ग.)
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद