बुढ़ापे से लाभ
जब मिले बुढ़ापा , खो मत आपा ,
ईश्वर को धन्यवाद दे ।
उसकी है करुणा , आया पहुना ,
प्रसन्नता का प्रसाद दे ।।
सूक्ष्म है संदेश , श्वेत ये केश ,
पवित्रता का पालन हो ।
इंद्रिय शिथिल हो, मन सविकल हो ,
ध्यान का नित्य साधन हो ।।
जब न दिखे दुनिया , नैन पुतरिया
निहारना तू निज रुप को ।
मत बहिर्मुखी हो , अंतमुखी हो ,
दीदार करो अनूप को ।।
श्रवण रंध्र मुंदे , ऊँचे स्वर सुने ,
ये उसका एहसान है ।
सुन ब्रम्ह का नाद , कर सदा याद,
अब तू नहीं नादान है ।।
तज काया महिमा , माया गरिमा ,
ये तो नित्य बदलते हैं ।
नहीं सुखानुभूति , प्रणवत प्रतीति ,
जो राम भजन करते हैं ।।
कर केन्द्रित मन को , अमोल धन को ,
छुपा हुआ जो अंदर है ।
सुंदर है अवसर, , विलंब मत कर ,
ये तन ईश्वर का घर है ।।
~ रामनाथ साहू ” ननकी ” मुरलीडीह छ ग
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