कर्तव्य-बोध-रामनरेश त्रिपाठी

कर्तव्य-बोध -रामनरेश त्रिपाठी जिस पर गिरकर उदर-दरी से तुमने जन्म लिया है।जिसका खाकर अन्न सुधा सम नीर समीर पिया है। जिस पर खड़े हुए, खेले, घर बना बसे, सुख पाए।जिसका रूप विलोक तुम्हारे दृग, मन, प्राण जुड़ाए॥ वह स्नेह की मूर्ति दयामयि माता तुल्य मही है।उसके प्रति...

हिंदी संग्रह कविता-बलि पथ का इतिहास बनेगा

बलि पथ का इतिहास बनेगा कविता संग्रह बलि पथ का इतिहास बनेगामर कर जो नक्षत्र हुए हैं उनसे ही आकाश बनेगा। सह न सकें जो भीषणता को, सर पर बाँध कफन निकले थे,देख उन्हें मुस्करा कर जाते, पत्थर भी मानों पिघले थे।इस उत्सर्गमयी स्मिति से ही माँ का मधुर सुहास बनेगा। कायरता ने शीश...

हिंदी संग्रह कविता-डटे हुए हैं राष्ट्र धर्म पर

डटे हुए हैं राष्ट्र धर्म पर अटल चुनौती अखिल विश्व को भला-बुरा चाहे जो माने।डटे हुए हैं राष्ट्रधर्म पर, विपदाओं में सीना ताने । लाख-लाख पीढ़ियाँ लगीं, तब हमने यह संस्कृति उपजाई।कोटि-कोटि सिर चढ़े तभी इसकी रक्षा सम्भव हो पाई॥हैं असंख्य तैयार स्वयं मिट इसका जीवन अमर...

हिंदी संग्रह कविता-हार नहीं होती हिन्दी कविता

हार नहीं होती हिन्दी कविता कविता संग्रह धीरज रखने वालों की हार नहीं होती।लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती।एक नन्हींसी चींटी जब दाना लेकर चलती है।। चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है।चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती। धीरज रखने डुबकियाँ...

परशुराम की प्रतीक्षा -रामधारी सिंह ‘दिनकर’

परशुराम की प्रतीक्षा -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ छोड़ो मत अपनी आन, शीश कट जाए,मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए। दो बार नहीं यमराज कण्ठ हरता है,मरता है जो, एक ही बार मरता है। तुम स्वयं मरण के मुख पर चरण धरो रे।जीना है तो मरने से नहीं डरो रे॥ आँधियाँ नहीं जिसमें...

मेरी अभिलाषा है -द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी

मेरी अभिलाषा है -द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी सूरज-सा दमकूँ मैंचंदा-सा चमकूँ मैंझलमल-झलमल उज्ज्वलतारों-सा दमकूँ मैंमेरी अभिलाषा है। फूलों-सा महकूँ मैंविहगों-सा चहकूँ मैंगुंजित कर वन-उपवनकोयल-सा कुहकूँ मैंमेरी अभिलाषा है। नभ से निर्मलता लूँशशि से शीतलता लूँधरती से...