हिंदी संग्रह कविता- राष्ट्र की जय

राष्ट्र की जय राष्ट्र की जय चेतना का, गान वन्दे मातरम्राष्ट्र भक्ति प्रेरणा का, गान वन्दे मातरम् । बंसी के बजते स्वरों का, प्राण वन्दे मातरम्झल्लरी झंकार झनके, नाद वन्दे मातरम् ।शंख के संघोष का, संदेश वन्दे मातरम्। राष्ट्र भक्ति. सृष्टि बीज मंत्र का है, मर्म वन्दे...

हिंदी संग्रह कविता- जय जय भारत

जय जय भारत जय जय भारत, जन-मन अभिमतजन-गण-तन्त्र विधाता। गौरव-भाल-हिमाचल उज्ज्वलहृदय-हार गंगा-जल,कटि विन्ध्याचल, सिन्धु चरण-तलमहिमा शाश्वत गाता। हरे खेत, लहरें नद-निर्झरजीवन-शोभा उर्वर,विश्व कर्मरत कोटि बाहु-करअगणित पद ध्रुव पथ पर। प्रथम सभ्यता-ज्ञाता, साम-ध्वनित...

हिंदी संग्रह कविता- जन्मभूमि पर कविता

जन्मभूमि पर कविता जहाँ जन्म देता हमें है विधाताउसी ठौर में चित्त है मोद पाता। जहाँ हैं हमारे पिता-बंधु-माता,उसी भूमि से है हमें सत्य नाता। जहाँ की मिली वायु है जन्मदानी,जहाँ का बिंधा देह में अन्न-पानी। भरी जीभ में है जहाँ की सुबानी,वही जन्म की भूमि है भूमि-रानी। कहीं...

हिंदी संग्रह कविता-कोटि-कोटि कंठों ने गाया

कोटि-कोटि कंठों ने गाया कोटि-कोटि कंठों ने गाया, माँ का गौरव गान है,एक रहे हैं एक रहेंगे, भारत की संतान हैं। पंथ विविध चिंतन नाना विधि बहुविधि कला प्रदेश की,अलग वेष भाषा विशेष है, सुन्दरता इस देश की।इनको बाँट-बाँटकर देखें, दुश्मन या नादान हैं। कोटि-कोटि मझायेंगे...

हिंदी संग्रह कविता-फिर से नवजीवन का विहान

फिर से नवजीवन का विहान जग-जीवन में जो चिर-महान्,सौन्दर्य-पूर्ण औ’ सत्य-प्राण मैं उसका प्रेमी बनूँ, नाथ,जो हो मानव के हित समान। जिससे जीवन में मिले शक्ति,छूटे भय, संशय, अंधभक्ति, मैं वह प्रकाश बन सकूँ, नाथ,मिल जाएँ जिसमें अखिल व्यक्ति। पाकर प्रभु, तुमसे अमर...

मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ / गोपालदास “नीरज”

मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ / गोपालदास “नीरज” कविता संग्रह मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर कीहो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ? मीलों जहाँ न पता खुशी कामैं उस आँगन का इकलौता,तुम उस घर की कली जहाँ नितहोंठ करें गीतों का...