चली चली रे रेलगाड़ी

चली चली रे रेलगाड़ी

छुक छुक छुक छुक
छुक छुक छुक छुक
झटपट बना ली गाड़ी
चली चली रे देखो चली
रेलगाड़ी रेलगाड़ी
देखो बच्चों की निकली सवारी
देखो बच्चों की निकली सवारी

लपेट लपेट ऐसा मोड़ा
दोनों पल्लू साथ में जोड़ा
देखो रस्सी बन गई साड़ी
चली चली रे देखो चली
रेलगाड़ी रेलगाड़ी
देखो बच्चों की निकली सवारी
देखो बच्चों की निकली सवारी

रंग -बिरंगी पोशाकें पहने
पंक्ति बनाकर लग गए घुसने
मुन्नी ने कसकर सीटी मारी
चली चली रे देखो चली
रेलगाड़ी रेलगाड़ी
देखो बच्चों की निकली सवारी
देखो बच्चों की निकली सवारी

काँधे पर काँधा रखा है सबने
बोगी से इंजन जोड़ा है सबने
बड़ी न्यारी है इनकी यारी
चली चली रे देखो चली
रेलगाड़ी रेलगाड़ी
देखो बच्चों की निकली सवारी
देखो बच्चों की निकली सवारी

सरपट सरपट भागे है इंजन
घुमा रहा है हर एक स्टेशन
पीछे है पलटन भारी
चली चली रे देखो चली
रेलगाड़ी रेलगाड़ी
देखो बच्चों की निकली सवारी
देखो बच्चों की निकली सवारी

  • आशीष कुमार 

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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