यह कविता एक पतिव्रता स्त्री की भावनाओं और समर्पण को दर्शाती है, जो करवा चौथ के व्रत के दौरान अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है। वह पूरे दिन व्रत रखती है, सोलह श्रृंगार करती है, मां पार्वती की कथा सुनती है और अपने सुहाग की सलामती की प्रार्थना करती है। चांद से विनती करती है कि वह जल्दी से आ जाए ताकि वह व्रत खोल सके और अपने पति के साथ अपना जीवन सुखमय बना सके।
पति-व्रता की प्रार्थना
पतिव्रता की पत रख लेना,
अपना धर्म निभाना रे।
चंदा तुझसे यही गुजारिश,
जल्दी से आ जाना रे।।
स्नान ध्यान कर सुबह सवेरे,
सब सोलह श्रृंगार किये।
पूजा पाठ, सुन कथा कहानी,
मां पार्वती का प्यार लिये।।
निराहार, निर्जल व्रत रखकर,
दिन भर पार पुगाना रे…
एक सुहागन मांग यही है,
मेरा अमर सुहाग रहे।
प्रियतम संग रह, प्रिया का भी,
सदा अखंड सौभाग रहे।।
खिलता पारिवारिक बाग रहे,
चांदनी वो फैलाना रे…
सती अनसूया, सावित्री सी,
नवदुर्गा अवतार है ये।
रिश्तो के ताने-बाने में,
सबसे सुंदर किरदार है ये।।
इक प्यार भरा संसार है ये,
यह सारे जग ने जाना रे…
जब तक तू ना आएगा वो,
छत पर खड़ी निहारेगी।
छलनी में से दर्श देखकर,
आरती मेरी उतारेगी।।
जल अर्पण कर मेरे हाथों से,
फिर खायेगी वो खाना रे…
चंदा तुझसे यही गुजारिश,
जल्दी से आ जाना रे…
# शिवराज सिंह चौहान
नान्धा, रेवाड़ी
(हरियाणा)