चंदा मामा दूर हैं

चंदा मामा दूर हैं

चंदा मामा दूर हैं ,
  पर हम तो मजबूर है।
  कैसे आए पास में,
  हम लगे हैं यह ही प्रयास में

हम जब भी आगे बढ़ते हैं,
तुम आगे बढ़ जाते हो।
रुककर देखें जब भी तुमको,
तुम ऊपर चढ़ जाते हो।
कभी तुम दिखते तुन्नक से,
कभी तुम दिखते भरपूर हो।
घटती-बढ़ती कलाओं में,
अपने में रहते चूर हो।
चंदा मामा दूर हैं ,
पर हम तो मजबूर है।

घेरे रहते हरदम तुमको,
सैकड़ों तारे बनकर सिपाही। 
हम तो अकेले रहे यहाँ पर,
साथ नहीं मिलता कोई राही।
तेरी लीला अजब निराली,
तेरा अजब ही नूर है।
हम तो यहाँ बहुत है छोटे,
तुम.मील हजारों दूर है।
चंदा मामा दूर है,
पर हम तो मजबूर है।


शिवशंकर के सिर पर रहते,
कोई नहीं तुम्हें कुछ कहते।
छोटे हो या बड़े यहाँ पर,
राह ताकते यहाँ सब रहते।
सबके प्यारे ,न्यारे मामा,
तुम जग में मशहूर है।
विनती  हम सभी की,
पास आना तुम जरूर है।
चंदा मामा दूर है,
पर हम तो मजबूर है।
कैसे आए पास में, हम लगे हैं यह ही प्रयास में।

महेन्द्र कुमार गुदवारे बैतूल

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

Leave a Reply