छत्तीसगढ़ का वैभव -शशिकला कठोलिया

छत्तीसगढ़ का वैभव 

छत्तीसगढ़ी कविता
छत्तीसगढ़ी कविता

कहलाता धान का कटोरा ,
है प्रान्त वनाच्छादित ,
महानदी ,इंद्रावती, हसदो,
 शिवनाथ करती सिंचित,
 छत्तीसगढ़ की गौरवशाली, 
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत,
 जनजीवन पर दिखता,
 सामाजिकता व इंसानियत,
हुए हैं छत्तीसगढ़ में,
बड़े बड़े साहित्यकार,
लोचन ,मुकुटधर ,माधव ,
गजानन नारायण ,परमार ,
प्राचीन काल से है यहां ,
धार्मिक गतिविधियों का केंद्र सिरपुर ,
डोंगरगढ़ शिवरीनारायण ,
है आस्था का केंद्र रतनपुर ,
बस्तर में है दर्शनीय स्थल ,
कुटुमसर तीरथगढ़ चित्रकूट,
दिखता यहां के लोगों में ,
धर्म में आस्था अटूट ,
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई ,
सभी धर्म है एक समान ,
वैष्णव शैव शक्ति ,
विविध पंथ है यहाँ विद्यमान ,
लोक कला है यहां समृद्ध ,
लोक जीवन संस्कृति में थिरकता,
 लोक नृत्यों का है महत्व ,
धार्मिक गीतों की है बहूलता ,
गीत नृत्य में गाए जाते ,
कर्मा सुआ पंथी ददरिया ,
प्रमुख लोक वाद्य यंत्र ,
मांदर मोहरी चिकारा बसुरिया,
 छत्तीसगढ़ी है भाषा ,
और है हिंदी उड़िया ,
लरिया सादरी उरांव बोली ,
गोड़ी हल्बी सरगुजिया,
 पर्वों की रंग रंगीली ,
रची बसी है धारा ,
तीजा हरेली अक्ति राखी ,
बैलों की पूजा होती पोरा ,
नवोदित राज्य है ये ,
विकास की संभावनाएं अनंत,
प्राकृतिक व सांस्कृतिक धरोहर,
अक्षुण्ण बनाए रखें कालांत ।

श्रीमती शशिकला कठोलिया,
शिक्षिका,
अमलीडीह, डोंगरगांव,
जिला – राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)
मोबाइल नंबर
9424111041/9340883488
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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