मुसाफिर पर कविता

 चल मुसाफिर चल-केवरा यदु “मीरा “

जिन्दगी  काँटों भरी है चल मुसाफिर चल ।
गिर गिर कर उठ संभल मुसाफ़िर चल ।

लाख तूफाँ आये तुम रूकना नहीं।
मंजिलों की चाह  है झुकना नहीं ।
मंजिल तुझे मिल जायेगी आज नहीं तो कल।

याद रख जो आँधियों से है टकराते ।
मंजिल कदम चूमने उनके ही आते।
गुनगुनाना कर मुस्कुरा कर ऐ मुसाफ़िर चल ।

लक्ष्य अपना ले बना भटक मत
ये माया की नगरी में अटक मत
सुकून मिलता जाएगा चल मुसाफिर चल

जिन्दगी काँटों भरी है चल मुसाफिर चल ।
गिर गिर कर उठ संभल मुसाफ़िर चल ।

केवरा यदु “मीरा “

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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