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गाय पर कविता (दोहा) – मदन सिंह शेखावत

गाय एक महत्त्वपूर्ण पालतू पशु है जो संसार में प्रायः सर्वत्र पाई जाती है। इससे उत्तम किस्म का दूध प्राप्त होता है। हिन्दू, गाय को ‘माता’ कहते हैं। इसके बछड़े बड़े होकर गाड़ी खींचते हैं एवं खेतों की जुताई करते हैं। भारत में वैदिक काल से ही गाय का महत्व रहा है। विकिपीडिया

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जानवरों पर कविता

गाय पर कविता (दोहा) – मदन सिंह शेखावत


गाय धरा की शान है,अमृत देय यह दुग्ध।
पीकर मन सन्तोष हो ,हम हो जाते मुग्ध।।1

गाय मात को पूज कर ,पाये मन सन्तोष।
गोबर मूत्र किसान भी,फसलो को ले पोष।।2

गाय दुग्ध हरता सदा,व्याधि दोष सब रोग।
पीते बालक वृद्ध है , रहते सदा निरोग।।3

गाय जहाँ हम बाधते,कीट पतंग न आय।
गोबर से फसले बढे,अच्छी फसले पाय।।4

गाय गुणो की खान है,रोम रोम हरि वास।
गो ग्रास नित निकालिये,होय स्वर्ग मे वास।।5

गाय कभी मत छोङये,यह पाप का मूल।
खो देगी जड़ मूल से,फिर समझोगे भूल।।6

मारो मत न गाय सभी,घोर पाप मे जाय।
गाय हमारी मात है, सेवे ध्यान लगाय।।7

जिस घर पलती गाय है,वो घर स्वर्ग समान।
रोग दोष व्यापे नही, मिलता है सम्मान।।8

गाय गुणो की खान है, जाने जानन हार।
अमृत समान दुध मिलता,सबकाबेङा पार।।9

गाय पाल लो प्रेम से, उपजेगा मन प्यार।
पंचगव्य मिलता हमे ,करे मात सत्कार।।10



– मदन सिंह शेखावत ढोढसर

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