गाय सड़क पर- राजकिशोर धिरही


गाय सड़क पर

गाय सड़क पर देख के,हो जाते हम मौन।
लक्ष्मी अब माने नहीं,पाले इनको कौन।।

दुर्घटना अब रोज ही,करते मानव हाय।
बस बाइक कैसे चले,सड़कों पर है गाय।।

पालन पोषण बंद है,ले कर दौड़े बेत।
गाय बैल अब चर रहें,घूम घूम कर खेत।।

घर लगते टाइल्स ही,पशु पालन है बंद।
बाहर से ले दूध को,कैल्शियम रहे मंद।।

मरे कहीं पर गाय तो,बने नहीं अंजान।
माता कहते गाय को,दे पूरा सम्मान।।

बेजा कब्जा बढ़ गया,दिखे नहीं मैदान।
घास फूस उगते कहाँ,जानवर परेशान।।

राजकिशोर धिरही
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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