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गुस्से पर कविता

गुस्से पर कविता

कौन है जिसको गुस्सा आता नहीं,
कौन है जो गुस्से को दबाता नहीं!

जिंदगी में जिसने ना गुस्सा किया,
देवता है पर खुद को बताता नहीं!

जो स्वयं गुस्सा अपनी दबा लेता है,
वो सच में किसी को सताता नहीं!

गुस्से से हानि-हानि केवल हानि है,
बिन विकारों के ये फिर जाता नहीं!

जीवन में हंसना मुस्कुराना चाहिए,
गुस्से वाला हंसता मुस्कुराता नहीं!

आइये त्यागते हम सब गुस्से को,
आज ही छोड़ो गुस्से से नाता नहीं!

गुस्से का जब तूफां निकल जाता है,
कौन होगा जो बाद में पछताता नहीं!

उमेश दीक्षित भिलाई

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