हाथी पर कविता:- हाथी आता झूम के
हाथी आता झूम के,
धरती मिट्टी चूम के,
कान हिलाता पंखे जैसा,
देखो मोटा ऊँचा कैसा ?
सूँड हिलाता आता है,
गन्ना पत्ती खाता है।
हाथी के दो लंबे दाँत,
सूँड़ बनी है इसके साथ।
इससे ही यह लेता रोटी,
आँखें इसकी छोटी-छोटी।
हाथी पर कविता:- हाथी आता झूम के
हाथी आता झूम के,
धरती मिट्टी चूम के,
कान हिलाता पंखे जैसा,
देखो मोटा ऊँचा कैसा ?
सूँड हिलाता आता है,
गन्ना पत्ती खाता है।
हाथी के दो लंबे दाँत,
सूँड़ बनी है इसके साथ।
इससे ही यह लेता रोटी,
आँखें इसकी छोटी-छोटी।