हिम्मत न हार
आज नहीं तो ये कल होगा ।
प्रश्न यहीं का है हल होगा ।।
जीवन जीये जा मत रोना ।
यार हताशा में मत होना ।।
मान पहेली तू लग पीछे ।
हिम्मत को बांधो कस भींचे ।।
जीत चलो बाजी उलझा है ।
बंधन तोड़़ा जो निकला है ।।
तू इतिहासों कोे लिखता जा ।
कर्ज अभी से ही गिनता जा ।।
जो अब भी चाहे कर ले तू ।
कर्म प्रभा से जी भर ले तू ।।
~ रामनाथ साहू ” ननकी “
मुरलीडीह ( छ. ग. )
चंपकमाला (रुक्मति ) छंद :—– 10 वर्ण ।
भगण मगण सगण गुरु ।
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