हिंदी संग्रह कविता-हम सब भारतवासी हैं

हम सब भारतवासी हैं


हम पंजाबी, हम गुजराती, बंगाली, मद्रासी हैं,
लेकिन हम इन सबसे पहले केवल भारतवासी हैं।
हम सब भारतवासी हैं।


हमें प्यार आपस में करना पुरखों ने सिखलाया है,
हमें देश-हित, जीना-मरना, पुरखों ने सिखलाया है!
हम उनके बतलाये पथ पर, चलने के अभ्यासी हैं!
हम सब भारतवासी हैं!


हम बच्चे अपने हाथों से, अपना भाग्य बनाते हैं,
मेहनत करके बंजर धरती से सोना उपजाते हैं!
पत्थर को भगवान बना दें, हम ऐसे विश्वासी हैं!
हम सब भारतवासी हैं!


वह भाषा हम नहीं जानते, बैर-भाव सिखलाती जो,
कौन समझता नहीं, बाग में बैठी कोयल गाती जो!
जिसके अक्षर देश-प्रेम के, हम वह भाषा-भाषी हैं!
हम सब भारतवासी हैं।

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