माँ! बस यह वरदान चाहिए

माँ बस यह वरदान चाहिए।
जीवन-पथ जो कंटकमय हो, विपदाओं का घोर विलय हो।
किन्तु कामना एक यही बस, प्रतिपल पग गतिमान चाहिए। माँ …
हास मिले या त्रास मिले, विश्वास मिले या फास मिले।
गरजे क्यों न काल सम्मुख, जीवन का अभिमान चाहिए॥ माँ…
जीवन के इन संघर्षों में, दुःख – कष्ट के दावानल में,
तिल-तिलकर तन जले न क्यों पर होठों पर मुस्कान चाहिए॥ माँ.
कंटक पथ पर गिरना, चढ़ना, स्वाभाविक है हार जीतना।
उठ-उठ कर हम गिरें, उठे फिर, पर गुरुता का ज्ञान चाहिए। माँ.
मेरी हार देश की जय हो, स्वार्थ- भाव का क्षण-क्षण क्षय हो,
जल-जल कर जीवन , जग को, बस इतना सम्मान चाहिए। माँ…