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हिन्दी की पुकार पर कविता

हिन्दी की पुकार पर कविता

हिन्दी हिन्द की शान है,हिन्दी हिन्द की जान है,
हिन्दी हिन्द की वरदान है,हिंदी पर अभिमान है।
उमंगों के तरंग में,हिंदी है भावनाओं का समंदर,
एकता का प्रतीक है ये,भर लो हृदय के अंदर।
हिन्दी है सबसे प्यारी भाषा,करो सभी स्वीकार,
हिन्द का करो उद्धार यही है,हिन्दी की पुकार।

हिंदी की आजादी के लिए,कई वीर हुए कुर्बान,
अथक-अडिग प्रयत्नों से हिंदी बना है महान।
अंग्रेजों के साथ,गुलामी का भी हुआ गमन,
हिन्दी है अपनी जुबाँ,हिन्द है अपना वतन।
हिंदी की आशियाना में है,मार्मिकता बेशुमार,
हिन्द का करो उद्धार यही है,हिन्दी की पुकार।

पृथ्वी,गगन,पवन,और गवाह है बरसात,
हिंदी से तृप्त हैं,विश्व के सभी मानव जात।
हिंदी है सौहार्द, हिंदी है अमन की परिभाषा,
आजादी हो सर्वत्र,हिंदी की यही है अभिलाषा।
“सर्वे भवन्तु सुखिनः” हिंदी भाषा की है गुहार।
हिन्द का करो उद्धार यही है,हिन्दी की पुकार।

कभी न मुरझाने वाली हिंदी है,एक चमन,
हिंदी की महत्ता बयां करती है,धरा-गगन।
कहता है ‘अकिल’ हिंदी का किजीए रक्षा,
बड़ी ही शिद्दत से मिली है हिंदी की दीक्षा।
हिन्द है हमारा वतन,हिन्दी को दो सभी दुलार,
हिन्द का करो उद्धार यही है,हिन्दी की पुकार।

अकिल खान.
सदस्य, प्रचारक “कविता-बहार” जिला – रायगढ़ (छ.ग.).

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