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अंतराष्ट्रीय योग दिवस विशेष कविता

अंतराष्ट्रीय योग दिवस विशेष कविता

आज हमारे काम आ रहा है बहुत।

ऋषि-मुनियों ने भी
योग की पाठशाला
हर अध्याय याद
आया है बहुत
कहानी तो सुनी थी
लेकिन वह कल्पना नही है
शरीर के रोग,हो रहे निरोग
वही बात होती साकार है
योग की पाठशाला में
सिखाया है बहुत
आज हमारे काम
आ रहा है बहुत।


योग यह साकार है

धरा-समीर-नभ और प्रभाकर
को करे वंदन,प्रकृति संग
योग की हो सुप्रभात
सदियों से यह बात पुरानी है
सुनी योग की अच्छी कहानी है
जो करें प्रतिदिन योग
उसका रहेगा शरीर निरोग
ऋषि-मुनियों ने योग को अपनाया
और इस से बहुत कुछ उन्होंने पाया
सुबह उठकर संकल्प लेकर
एक नवाचार लिख देना
भांति भांति में छुपा
क्रियाओं में अद्भुत आकार है
योग कल्पना नही,योग यह साकार है।




परिचय :- अक्षय भंडारी
निवासी : राजगढ़ जिला धार
शिक्षा : बीजेएमसी
सम्प्रति : पत्रकार व समाजिक कार्यकर्ता

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