हम परिन्दे

हम परिन्दे

हम परिन्दे
हम है मनमौजी
सीमा न जाने।।

हम परिन्दे
घर न पहचाने
घूमे अंजाने।।

हम परिन्दे
उड़ते पंख फैला
देश न जानें ।।

हम परिन्दे
फिरे दरबदर
बना लें घर।।

हम परिन्दे
छू लेते आसमान
ऊंची उड़ान ।।
हम परिन्दे
रहें खूब उड़ते
नहीं थकते।।

राकेश नमित

Leave a Comment