CLICK & SUPPORT

झुकेगा सर नहीं अपना

झुकेगा सर नहीं अपना

झुकेगा सर नहीं अपना, किसी तलवार के आगे।
अटल होकर खड़े होंगे, बुरे  व्यवहार के आगे।


बढ़ायेंगे कदम अपने, न जब तक लक्ष्य  हो हासिल।
बढ़ेंगे नित्य हम अविचल, भले ही दूर हो मंज़िल।
डरेंगे हम  नहीं अब तो, किसी प्रतिकार के आगे।1
झुकेगा सर नहीं……


लगा कर शक्ति हम पूरी, बढ़ाएं नाव  को अपनी।
न हो नौका कभी डगमग,भले लहरें उठें कितनी।
किनारा भी मिलेगा कल, हमें मँझधार के आगे।2
झुकेगा सर नहीं……


भरोसा बाजुओं में है, सधेंगे लक्ष्य सब अपने।
वतन पर जान देंगे हम, सदा देखे यही सपने।
नहीं कुछ और दिखता है, वतन के प्यार के आगे।3
झुकेगा सर नहीं……


करे रिपु यत्न कितने भी,  सफल फिर भी न हो पाये।
चले कितनी नई चालें, सदा मुँह की ही’ वो खाये।
दबा कर दुम सदा भागे, हमारे वार के आगे।4
झुकेगा सर नहीं……


दिखाएंगे नया जौहर, हर इक हथियार के आगे।
झुकेगा सर नहीं अपना, किसी तलवार के आगे।


प्रवीण त्रिपाठी, नई दिल्ली, 30 जनवरी 2019

CLICK & SUPPORT

You might also like