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जिम्मेदारी पर कविता

कविता-जिम्मेदारियां

जिम्मेदारियां एक बोझ है
ढोने वाले पर
लद जाते हैं,
ना ढोने वाले को
नासमझ/
नालायक/
आवारा
लोग कह जाते हैं,

जिम्मेदारियां,
जीवन का
एक पहलू है
बिना जिम्मेदारी के
जीवन
जानवर का बन जाते हैं ,

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जिम्मेदारियों से
घबड़ाना/
चिल्लाना/
कभी नहीं
परेशानियां
तो इनके संग ही आते हैं,
जिम्मेदारियों से
अपनो में
रहने का
अपना कुछ
कहने का
सबका कुछ
सुनने का
अपनों से मिल जाते हैं ,

जिम्मेदारियां
एक दर्शन है
जो सिखाता है
जीवन जीने
की सरीखे
तरीके,
पता नहीं कि
कब आ गये
बुढ़ापे के सफ़र में
पता ही नही चला,
छोड़ जाते हैं
बहुत कुछ
अपनों के लिए,
जिम्मेदारियां
जिम्मेदारियों से
फिर दूसरों को
सौंप कर दे जाते हैं।

रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर यू पी

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