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पैसों के आगे सब पराया

मुश्किल समय में नहीं आता है;
अपने ही अपनो के काम होगा।
आगे चलकर भुगतना पड़ता है;
ऊँचे से ऊँचे मोल का दाम होगा।1।

मोल पैसों का नहीं संस्कार का है;
प्यार से करो बात मन में जगता आस।
माता-पिता और गुरु से मिले जो संस्कार;
कभी ना खोना धैर्य मन में रखो विश्वास।2।

मुश्किल का सामना जब भी होता है;
तब आती है अपनों की याद।
जो नहीं करते हैं अपनों पे विश्वास;
सदा करता रहता है रब से फरियाद।3।

इस कलयुगी दुनिया में सब मतलबी हो गये;
रिश्ते पराया होकर पैसों के पीछे भाग रहे।
पैसा खातिर इंसान अपनों से नाता तोड़ रहे;
महत्व दे पैसों को सीने से लगाकर जाग रहे।4।

परमानंद निषाद

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