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कृष्ण भजन – वंदना – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

कृष्ण भजन – वंदना

कृष्ण
कृष्ण

रूप श्याम का मेरे मन को भाया
रूप मुरली मनोहर का भाया
वो जबसे जगत में आया
सबका बेड़ा पार लगाया

रूप श्याम का मेरे मन को भाया
रूप मुरली मनोहर का भाया

उसकी बातें मेरे मन को भायें
मन में जीवन ज्योति जगायें
उसकी महिमा का अंत नहीं है
उसके जैसा संत नहीं है

रूप श्याम का मेरे मन को भाया
रूप मुरली मनोहर का भाया

बातें उसकी अमृत बरसायें
जीवन में अमृत घोल जायें
वो तो है सबका सहारा
करता सबका जीवन उजियारा

रूप श्याम का मेरे मन को भाया
रूप मुरली मनोहर का भाया

बनाई है दुनिया उसी ने
राह सच्ची दिखाई उसी ने
मोक्ष पाने का रास्ता दिखाया
मानव के समझ में आया

रूप श्याम का मेरे मन को भाया
रूप मुरली मनोहर का भाया

उसकी लीलायें लगतीं निराली
अब माखन चुराने की बारी
हो बालपन या फिर युवापन
हर एक रूप सभी को है भाया

रूप श्याम का मेरे मन को भाया
रूप मुरली मनोहर का भाया

धर्म का पाठ है सबको पढ़ाया
सत कर्म से परिचय कराया
रूप अर्जुन को अपना दिखाया
मन मस्तिस्क पर है ये छाया

रूप श्याम का मेरे मन को भाया
रूप मुरली मनोहर का भाया

कृष्ण की महिमा सब मिल गायें
जीवन को अपने सफल बनायें
इस जीवन में मोक्ष पायें
प्रभु की गोद में जगह बनायें

रूप श्याम का मेरे मन को भाया
रूप मुरली मनोहर का भाया

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