काका कलाम एक पाती तेरे नाम
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काका कलाम,काका कलाम
बार बार करे हम तुझे सलाम
हमे जरा तो बतलाओ
पहुंचे कैसे इस मुकाम
क्या क्या पढे,क्या गढे
दुनिया करें तुझे सलाम
कितने सारे किये है शोध
मिसाईल मेन पडा तेरा नाम
अपने लक्ष्य के प्राप्ति हेतु
दिया आपने क्या बलिदान
राष्ट्रपति भी बनकर काका
नही आप मे तनिक गुमान
बताओ हमे वह राह आसान
हम भी बढाये देश की शान
कुवारे ही रह गये काका
रचायी नही क्यो? शादी
रहती काकी तो बट जाता
प्यार हमारा आधी आधी
देना होगा अवश्य काका
सभी मेरे प्रश्नों का उत्तर
टाल ना देना काका हमे
छोटा बच्चा समझ कर
करता हूँ हाथ जोडकर
बार बार , यह अनुरोध
आपका अपना लाडला
भतिजा कमलकिशोर
कमलकिशोर ताम्रकार “काश”
रत्नाँचल साहित्य परिषद
अमलीपदर जिला गरियाबंद छत्तीसगढ़