मां पर बाल कविता
अम्माँ करती कितना काम।
चाहे सुबह हो चाहे शाम ॥
कुछ न कुछ करती ही रहती।
सारे घर का बोझा सहती ॥
नहीं उसे मिलता आराम।
अम्माँ करती कितना काम ॥
हम भी थाड़ा काम करेंगे।
अम्मा जी की मदद करेंगे।
तब होंगे सब काम तमाम
मिलेगा अम्माँ को आराम ॥
अम्माँ करती कितना काम।
चाहे सुबह हो चाहे शाम ॥
कुछ न कुछ करती ही रहती।
सारे घर का बोझा सहती ॥
नहीं उसे मिलता आराम।
अम्माँ करती कितना काम ॥
हम भी थाड़ा काम करेंगे।
अम्मा जी की मदद करेंगे।
तब होंगे सब काम तमाम
मिलेगा अम्माँ को आराम ॥