माँ मै आ गया हूँ / कमल कुमार सिंह

माँ मै आ गया हूँ /कमल कुमार सिंह

माँ अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी है
ना सुन सकती है न बोल सकती है
देख कर भी कुछ कह नही सकती
काले अंधेर दुनिया मे गुम हो चुकी है
उम्मीद की किरण अब खो चुकी है
दुनिया को अलविदा कह चुकी है..
माँ मै आ गया हूँ


जब वो बीमार थी
तब उसको इग्नोर करते रहे
अकेला छोड़ अपनी मस्ती मे डूबे रहे
बेटा बेटी पैसे का हिसाब करते रहे
कोन रखेगा उसका जुगाड़ करते रहे
कही इन्फैक्ट न हो जाऊ हाथ धोते रहे
माँ मै आ गया हूँ
दरवाजे बंद अब घर मे नही है
दूर यात्रा पर निकल गयी है
सभी के शिकवे खत्म कर गयी
अब वो न लौट कर आयेगी
अपने दूध का हिसाब न मांगेगी
उसकी यादों मे अब जिंदगी खत्म हो जाएगी..
तुम बस चिल्लाते रहो
माँ मै आ गया हूँ

कमल कुमार सिंह
बिलासपुर

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।