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माता है अनमोल रतन – बाबूराम सिंह

माता है अनमोल रतन

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माँ पर कविता

स्वांस-स्वांस में माँहै समाई,सदगुरुओं की माँ गुरूताई।
श्रध्दा भाव से करो जतन,माता है अनमोल रतन।।

अमृत है माता की वानी, माँ आशीश है सोना -चानी।
माँ से बडा़ ना कोई धन, माता है अनमोल रतन।।

माँका मान बढा़ओ जग में,सेवा से सब पाओ जग में।
मणि माणिक माता कंचन,माता है अनमोल रतन।।

सुख शान्ति माता से आता,हैं ए सबकी भाग्यविधाता।
हुलसित हो माता से मन ,माता है अनमोल रतन।।

प्यार दुलार है परम अनूठा, माँ सेवा बिन सब है झूठा।
महि कानन माता है गगन, माता है अनमोल रतन।।

माँ में वास करें सब देवा,करो प्रेम से माँ की सेवा।
शान्ति सरस पाओ हर छन,माता है अनमोल रतन।।

सोच अभी हो जा सावधान,माता चरण झुके भगवान।
मोक्ष मुक्ति माता के शरन ,माता है अनमोल रतन।।

साधु संत ज्ञानी दानी , माँ से है सबकी कहानी।
माँ से हो तप त्याग भरन ,माता हैं अनमोल रतन।।

माँ की हरदम लखो छवि , करवध्द बाबूराम कवि।
सेवा का दृढ़ लेके परन ,माता हैं अनमोल रतन।।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)841598
मो०नं९ – 9572105032
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