अर्ज़ी कर लेना तुम स्वीकार ओ मैया

अर्ज़ी कर लेना तुम स्वीकार ओ मैया

मेरी अर्ज़ी कर लेना, अब तो तुम स्वीकार ओ मैया
इस बेटी को दे देना, अपना थोड़ा प्यार ओ मैया
मैं तो तेरा नाम जपूँ, चाहे रूठे संसार
मेरी अर्ज़ी……
हे सुखकर्णी हे दुखहरणी मैया शेर सवारी
सकल विश्व गुणगान करे माँ तेरी महिमा न्यारी
कल कल बहती निर्मल गंगा अम्बे शरण तिहारी
जगमग जगमग तेरी ज्योतें मुझको लगती प्यारी
ध्यानु ने जब तुम्हें था ध्याया तुमने किया उसका उद्धार
अपनी दया से कर देना मुझको भी भव पार
मेरी अर्ज़ी कर लेना…….
धूप दीप नैवैद्य आरती कुछ न मैं  ला पाई
अभिलाषी मेरी आँखें माँ तेरी ज्योत बनाई
मन को तेरा भवन बनाया मूरत तेरी बसाई
रोम रोम जिव्या ने तेरी आरती है माँ गाई
शिव शंकर ने बतलाया है वेद पुराणों का तू सार
मैया दुष्टों को हनने को लो काली अवतार
मेरी अर्ज़ी कर लेना….
जब से माँ कहना सीखा है तुझको शीश झुकाया
दुनिया भर की खुशियों को तेरे आँचल से पाया
कर्मों का माँ लेख है कुछ कुछ है कष्टों का साया
तूने फिर भी अनहोनी से हर पल मुझे बचाया
दर्शन की ‘ चाहत ‘ है मुझको छलका दो माँ अपना दुलार
मेरी अर्ज़ी कर लेना…….


नेहा चाचरा बहल ‘चाहत’
झाँसी
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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