मुक्तिबोध: एक आत्मसातात्मक प्रयास

मुक्तिबोध: एक आत्मसातात्मक प्रयास

क्यों मैं रातों को सो नहीं पाता
अनसुलझे सवालों का बोझ ढो नहीं पाता…
रूचि, संस्कार, आदत सब भिन्न होते हुए भी
क्यों मुक्तिबोध से दूर हो नहीं पाता…
क्यों मैं रातों को सो नहीं पाता
अनसुलझे सवालों का बोझ ढो नहीं पाता…
क्यों बंजर दिल के खेत में
आशाओं के बीज बो नहीं पाता…
जज़्बातों का ज़लज़ला उठने पर भी आखिर क्यों मैं खुलकर रो नहीं पाता…
क्यों मैं रातों को सो नहीं पाता
अनसुलझे सवालों का बोझ ढो नहीं पाता…
क्यों अपने अंदर व्याप्त ब्रह्मराक्षस के मलिन दागों को धो नहीं पाता…
मुझे कुरेदती, जर्जर करती स्मृतियों को चाहकर भी खो नहीं पाता…
क्यों मैं रातों को सो नहीं पाता
अनसुलझे सवालों का बोझ ढो नहीं पाता…

अंकित भोई ‘अद्वितीय’
       महासमुंद (छत्तीसगढ़)
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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