नमन दोहा पंचक

नमन दोहा पंचक 

मन में जो तू ठान ले ,कुछ भी करले मीत ।
हौसला  गिराना नहीं , होगी निश्चित जीत ।।
चरण  स्पर्श है बंदगी , कृपा  करे  सब  संत ।
मन के कल्मष मेट दे, करे सकल दुख अंत ।।
लोगों यह तन कुंभ है ,भरा हुआ  जल राम ।
राख जतन के मानवा, करले अमर स्वनाम ।।
धन्यवाद माँ आपको , सौंपा सकल जहान ।
ममता  अक्षय दे  गई , माँ तू  सदा  महान ।।
जब नैराश्य करे उधम , निहार तू घनश्याम ।
प्रार्थना हिय अंतर जगे , बल दे श्री भगवान ।
                  ~   रामनाथ साहू  ” ननकी “
                          मुरलीडीह ( छ. ग. )
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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