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राष्ट्रीय पर्वतीय पर्वतारोहण दिवस पर एक कविता

यहाँ राष्ट्रीय पर्वतीय पर्वतारोहण दिवस पर एक कविता प्रस्तुत की गई है, जो पर्वतारोहण के साहस, रोमांच और प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाती है:


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राष्ट्रीय पर्वतीय पर्वतारोहण दिवस

जब ऊँचे पर्वत चढ़ते हैं हम,
साहस से भरे दिल के संग,
हर चोटी पर विजय का सपना,
हर कदम पर नई उमंग।

हवा का झोंका, बर्फ की चादर,
कभी रुकावट, कभी सहारा,
प्रकृति की गोद में चलते हैं हम,
हर पल रोमांच का इशारा।

रास्ते कठिन, पगडंडी तंग,
मंजिल की ओर बढ़ते हैं संग,
हर मुश्किल को पार करते,
नई ऊंचाईयों पर चढ़ते।

पर्वतों की चोटी से दिखता,
क्षितिज का अद्भुत विस्तार,
हरियाली, नीला आकाश,
प्रकृति का अद्भुत संसार।

आओ मिलकर आज मनाएं,
राष्ट्रीय पर्वतीय पर्वतारोहण दिवस,
साहस और दृढ़ता का पर्व यह,
प्रकृति से जुड़ने का प्रयास।

चढ़ते रहें हम पर्वतों पर,
दृढ़ता और धैर्य के संग,
हर चोटी पर विजय का सपना,
हर दिन को बनाएं हम नया रंग।


यह कविता पर्वतारोहण के रोमांच और प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति प्रेम को उजागर करती है। पर्वतारोहण न केवल साहसिक खेल है, बल्कि यह धैर्य, दृढ़ता, और प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाने का माध्यम भी है।