नदी की सुन्दरता

नदी की सुंदरता

नदी हूंँ मैं मेरी शान है अनोखी-निराली,
मेरी जल से छाई है चारों ओर हरियाली।
मेरी तट में विराजमान हैं कई तीर्थ-स्थान,
मानव इतिहास का पृथ्वी में करूं बखान।
कहीं रूद्र-शांत तो कहीं मन को हरता,
है अदम्य-अकल्पनीय,नदी की सुंदरता।

हिमखंड वर्षा की जल से बहूँ कल-कल,
पर्वत से निकलकर मैदान में पहुंँचे जल,
नाविक करें मत्स्याखेट और गाए मल्हार गीत,
मानव-पशु स्नान करें देख मन हो अति हर्षित।

करे सबको तृप्त नदी की है ये उदारता,
है अदम्य-अकल्पनीय,नदी की सुंदरता।

नदी किनारे कीचड़-रेत और विशाल लंबे पेड़,
कृषि करें बिजली बनाएं और कहीं नमक-मेड़।

जल से साफ करें बर्तन-कपड़े और मल,
कारखानों कि प्रदूषण से दूषित होता जल।
यह देख नदी मानव को है धिक्कारता,
है अदम्य-अकल्पनीय,नदी की सुंदरता।

मैं सभ्यता की जननी हूं न करो मेरा अपमान,
काट वृक्ष बढ़ती आबादी से नष्ट करता इंसान।
कहती है नदी मेरी अस्तित्व को बचा लो,
मानव कुकृत्य को मेरी जीवन से हटा लो।
हे मानव तुम हो वीर कैसी है ये कायरता,
है अदम्य-अकल्पनीय,नदी की सुंदरता।

मेरी जल से करें व्यापार और मनाएं त्यौहार,
कर पूजा पाठ मानव करे जीवन का उद्धार।
नदी बचाओ ये जीवन को है संवारता।
है अदम्य-अकल्पनीय,नदी की सुंदरता।

—– अकिल खान रायगढ़ जिला रायगढ़ (छ.ग.) पिन – 496440.

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